FactTechz AMAZING FACTS SHOW - Episode 1011
- पेट में लेजर भिलेट के बारे में जानकारी
- हाइड्रोक्लोरिक एसिड की क्षमताएँ
- दवाओं और ज़हरीले पदार्थों का अवशोषण
- पृथ्वी पर रेडिएशन और फंगस का संबंध
- निर्माण की नई तकनीकें और उनके प्रभाव
अगर आपके पेट में गल्ती से एक लेजर भिलेट चला गया तो आपने यह बाथ सूना होगा।
क्या आपके पेट का हाइड्रोक्लोरिक एसिड उसे गला देगा?
क्या लोग हाइड्रोक्लोरिक एसिड को इसलिए उगाते हैं?
यह पेट सब कुछ को ब्रेकडाउन कर देता है।
एक बचपन की बात बताता हूँ।
मेरी सिस्टर ने पायल-पायल का एक गोल चॉकलेट गलती से मुँह में निगल लिया था।
खुद दिन बाद डॉक्टर को दिखाने के बाद यह पता चला कि उस पायल को पेट ने गला दिया है।
अगर वह एक वल्केनिक साहस बाहर निकल गया... ठीक है, मेटल को गला देगा।
भलेड को गला देगा, सोना जाएगा। अगर आप मेटल को गला देंगे, सब कुछ को ब्रेकडाउन कर देगा।
फिर ज़हर को ब्रेकडाउन क्यों नहीं किया जाता?
यह अजीब बात नहीं है।
तुसके जो कारण हैं वो जान जावगे, आपको मजा जाएगा, और ज़िंदगी पर इसको याद रखना।
देखो पेट में कुछ भी जाता है, तो पहले वो इस टॉमक एरिया, यह पेट वाल एरिया में जाता है।
तुसके बीजे जब तुछ करती है, तो वो सीधे ब्लड में गुज जाती है, जैसे अल्कोहल।
जब कोई पीता है, तो वो पेट में जाकर तुरंत कुछ मिनट्स में ही नशा आसानी से होने लगता है।
क्योंकि वो पेट के स्वमक लिएनिंग में ही अब्ज़ॉर्ब होता है।
कई दवाएं ऐसे ही अब्ज़ॉर्ब हो जाती हैं।
जो पॉज़न होता है, कोई भी जहर।
तो, जैसे आपके फुट पाइट से नीचे जान लगता है, यही पे ओई अब्ज़ॉर्ब होना शुरू हो जाता है।
इसलिए आप तजोल हैं, हाइड्रोक्लोरिक एसिड वो नहीं तोड़ पाता।
उसी हाईट्रोक्लोरिक एसिड से मेटल को पचाने की क्षमता है।
इसलिए ऐसा नहीं कि लोहे का एक टुकड़ा पेट के अंदर चला गया, तो उसका मरना पक्का है।
ऐसा नहीं होता है, पेट बचा लेता है।
लेकिन यह गीला-गीला चीज़ होता है, अल्कोहल, पॉज़न, कै दवाएं, जैसे एस्पिरीन।
जब वो बॉडी में जाते हैं तो बस शुरुआत हो जाती है।
तो यह पेट पे अव्ज़ॉर्प्शन है।
यहाँ से पेट में आने के बाद वो दूसरे नीचे जाकर एक आंत में पचता है।
उनकी पाचन एक आसान प्रक्रिया होती है।
तो, पे यह ध्यान देना।
वैज्ञानिकों को एक फंगस मिला है जो वहां के रेडियेशन को खा जाता है।
यह एक चीज करता है जिसे कहते हैं रेडियोसिंथेसिज।
हमारी दुनिया में कई सीक्रेट लोकेशन्स हैं, जैसे वॉल्ट्स, जो की तबाही प्रूफ हैं।
इनके बारे में आप जानते ही होंगे कि यह वो टास्क हैं जो मैग्नेटोट का भी अर्द्त्कुएग ले सकते हैं।
तो, अब सवाल है कि कैसे आमतौर पर साथ मैग्नेटूट का अर्त्कुएग आता हैं।
तो ज़रूरी है कि एक शॉक कैसे आ सकता है।
टेक्नोलोजी की कोई हग नहीं।
आप जानते हैं, वो 90% जो बिल्डिंग के उपन्टाइ से बनाए गए हैं।
आपने देखा होगा कि ये शिमंट से जुड़े।
अगर आप तीर्थ यात्रा पर जाओगे...
भैंस्लोर, दिल्ली, कलकत्ता।
तो जानते होंगे कि आजकल बिल्डिंग के मिक्स का निर्माण होता है।
इनमें केवल रोड और सीमेंट होता है।
तो यह सब नई टेक्नोलोजी हैं।
बिल्डिंग से भूंकप से और ज़्यादा सुरक्षित हैं।
हमारा एक प्लॉट दिल्ली में है और यही माइवन टेक्नोलॉजी का है।
जब भी किसी गाँव में बनाएं बात होती है कि बिल्डिंग में ईंट नहीं है।
तो कैसे खड़े बिल्डिंग।
यह नहीं।
यह टेक्नोलॉजी है भाई।
तो ये माइवन वाली चीज़।
यह अमेरिका और दुबई में सालों से चल रहा है।
कहते हैं नहीं, वेस्टर्न कंत्रियों के पास टेक्नोलॉजी है।
तो अब उनके यहाँ ऐसी कई टेक्नोलॉजी आ रही हैं।
जैसे सेल्फ-सेलिंग कंक्रीट टेक्नोलॉजी।
वैसे भी कई कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी।
इसमें आम जनता नहीं जानती।
और कुछ रिसर्चर जानते हैं।
और जहां से ये सीक्रेट वॉल्ट्स बनते हैं।
तो ये दुनिया के सर्वनाश के समय काम आएगी।
ये वैसे टेक्नोलॉजी से बनी हुई हैं।
दूर-दूर से हम जैसों की टेक्नोलॉजी कहने में सुनें में स्वोच की जा रही हैं।
अगर आप चाहते हैं तो यह सोच लें।
इन वॉल्स के बारे में जो पब्लिक हैं।
जिनके बारे में सर्च करने पर आपको मिल जाता है।
कई वॉल्ट्स हैं जो प्राइवेट कंपनियों के हैं।
कई बिलनेर्स बनाकर रखे हैं।
लेकिन हमें पता नहीं।
और नासा अक्सर वॉर्निंग देता है।
तो जब इतना रिस्क है।
जो भी हम कर रहे हैं, हम थोड़ा एडवांस्ट बंडल हैं।
अर्थ पर जीने वाले एक और दीवाने बात है।
आप और हम लाइफ को सीरियसली लेते हैं।
लेकिन थोड़ा सा जुम आउट करें।
दुनिया को ऊपर से एक बार देखें।
तो सभी जानवर हैं।
कई जानवर, धरती पर।
और इंसान भी प्रकृति के लिए एक जानवर है।
प्रकृति हमें देखकर यह कहती है कि हम फनी हैं।
तो हम जो भी करते हैं, वो थोड़ा एडवांस्ट मंकी वाला चीज़ है।
इमेजिन करें!
आप एक बंदर हैं, और आप इस वीडियो को देख रहे हैं।
आप एक बंदर हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं।
तो कैसे फनी टैप का फ़ील होता है कि हम तो जानवर हैं।
प्रकृति हमें फनी तरीके से देखती है।
ये जो ब्रह्मांड, ये प्रकृति...
तो ये सोचने वाली बात है।
आप और हम जैसे अदवांस्ट मंकी बिस्नेस हैं।
अब देखो, देखो।
मौस के दूध पिलाने का तालमेल।
वैसे प्रकृति हमें देखती है।
इंटरनेशनल डिस्कशन में ये कहता है।
कुछ बातें अजीब होती हैं।
एमुज करें।
अगर एक आदमी अपने बांए हाथ से लिखता है।
तो एक बार आप ध्यान दीजिए।
यह नहीं, ये सब बातें।