FactTechz AMAZING FACTS SHOW - Episode 1008

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  • किरला में नन्तन कोड एक अद्भुत जगह है, जो Google पर खोजने पर केवल एक रहस्य को प्रकट करती है।
  • यह कहानी एक लड़के की है, जिसने अपने परिवार के सदस्यों का कतल कर दिया।
  • इसके पीछे इंटरनेट के खतरनाक पहलुओं का प्रभाव है।
  • यह केस हमें यह बताता है कि इंसान के मानसिक स्वास्थ्य पर अकेलापन क्या असर डाल सकता है।
  • क्या एक सामान्य इंसान अजीब हरकतें कर सकता है?
  • यह केस हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या गहरे दिमागी बदलाव जन्म के समय से होते हैं या ये जीवन के अनुभवों के प्रभाव से विकसित होते हैं।

किरला में एक जगह है, नन्तन कोड,
और ये शायद एक लोता ऐसा जगह है, जिसका नाम अगर आप Google पे सर्च करोगे, तो ट्रैवल रिव्यूज, वहां का टेस्टी खाना ये सब ना आकर आपको एक मिस्टीरियस सा किलिंक्स दिखेगा।
और वो भी गु आपको ये बतारा हूँ।

इसका नाम है, नतन कोड, आश्टल ट्रैवल केस।
इसमें होता ये है, कि एक लड़का, अपने परिवार में, अपने पिता, अपनी माता, अपनी बहन, अपनी नानी, सबका कतल कर देता है।
और क्यों करता है?

आश्टल ट्रैवल के बहुत से अजीब से बातें हैं।
वो कहीं से इंटरनेट पे पड़ा होता है, यानी इंटरनेट की सबसे फालतू जग़हों में से एक।
जहांसे आपको सबसे अजीब चीज़ें देखने को मिल जाए।
उस जगह पे ने पड़ा, कि जब भी कोई मरता है, तो उसकी आत्मा निकल कर ट्रैवल कर रही होती है।
और जस्ट इसी चीज़ को देखने के लिए, उसने अपने परिवार को मार डाला।

अब यह आपको बहुत अजीब लग रहा होगा, लेकिन सब से अपनी बहुत बातें हैं इस केस की।
अकेले रहना, क्या कर सकता है इंसान के दिमाग के साथ।
ये जो कैडल जैंसन नाम का लड़का है, ये हमेशा अकेले, फर्स्ट फ्लोर पे रहता था।
इसके बहुत कम दोस्त थे, और ये बहुत ज़्यादा इंट्रोवर्ट था।

ये केस हमें एक बात बताती है, कि जो डार्क वेव है, यानी इंटरनेट की काली साइड, वो हमें क्या सिखा सकती है।
और हमें न जाने कैसा बना सकती है।
दिमाग का कोई हद नहीं होता।

और जो मैंने फोटो की बात कर रहा था, इसे लोग होर्रिफिक मानते हैं,
क्योंकि इसके चेहरे पे आप देख सकते हो, कोई भी गिल्ट नहीं दिख रहा।
इसने क्या किया? पुलिस इसे पकड़ कर ले जा रही है,
फिर भी इसके चेहरे पर, अपने मम्मी, पापा, बहन, नानी, किसी को भी मारने का कोई रिमोर्स नहीं है।
जस्ट आत्मा को बाहर निकलते हुए देखने का।

इसका एक स्टुपिड सा फैंटेसी,
सब कुछ खत्म कर डालना।
ये केस 2017 नतन कोड के नाम से जाना जाता है।
विर्वन दव्रम नान्दन कोड कुट कोलबादकतले प्रती, केडलने का मीशनर ऑफिस लत्ति चए चोद्व्दिम जेएन।
कोले ले आस्ट्रल प्रजक्ष्यन ने नारती रिए न वंदा केडल,
इप रिखषन देन भागमायाना, कोलबादकम अंदम केडल।

और वो मेरे को आपको मारने को कह रहा है।
अब ऐसी बीमारी होती है डिमेंशिया,
इसक्रिट्सर्फेन्निया पर एक साइकेट्रिस्ट ने टेस्ट करने के बाद कहा कि केटल को ऐसा कोई मेंटल हेल्थ इश्यू नहीं था।
केटल अभी भी जेल में बंद है।
और अभी भी कोर्ट उस घटना को लेकर एक्ज़ामिन कर रही है।

और पूरी दुनिया यही जानना चाहती है, कि एक इंसान का दिमाग आखिर कितनी हद तक चीजें कर सकता है।
और दूसरा सवाल जो लोग जानना चाहते हैं, क्या अच्छा इंसान बुरा बन सकता है?
क्या बिलकुल स्टूपिड इंसान में यह फुर आपसे लोग होते हैं?
यह खतरनाक लोग, जो अपने ही परिवार को मार देते हैं,
क्या ये जन्म से ही होते हैं?
क्या जन्म से ही इनके दिमाग में कुछ ऐसा पार्ट होता है?
या फिर ये बनते हैं धीरे-धीरे?

अब एक और व्यक्ति पर चर्चा करते हैं, जिसने अपने पैसे को छोड़कर साधु जीवन अपनाया।
आपने उन्हें IIT बाबा के बारे में ज़रूर सुना होगा।
वही लड़का जिसके पास 36 लाख रुपये का सालाना जॉब था,
फिर भी वो जॉब छोड़कर बाबा बन गया।
और दुनिया के सामने सबसे पहले 2020 के महाकुंभ मेले में आए।

इनको देखकर बहुत लोग सोच रहे हैं कि ऐसा क्यों लगता है?
लोग तड़पते हैं कि उन्हें तो तीन लाख रुपये महीने की नौकरी मिल जाए,
तो इतनी अच्छी नौकरी और पैसे को छोड़कर इंसान ऐसा कैसे बन सकता है?
अब उनकी बातें अगर आप सुनेंगे, तो आपको बड़ा अजीब लगेगा।

तो देखो इसका अंसार मनोविज्ञान में छुपा हुआ है।
एक मनोवैज्ञानिक होती है 'ध्यान से सुनना',
उसे कहते हैं साइंसटिफिक स्टडी।
यहाँ पर satisfaction मिलता है।
और इस चीज़ का जो उत्तर है, वो यह है कि इस दुनिया में लाखों नहीं, करोड़ों लोग ऐसे हैं,
जिनका सच्चा संतोष ज्ञान में आता है।

अब ये सवाल उठता है कि 18 साल के, 20 साल के, 24 साल के युवा,
business, घर, और पैसा ये सब छोड़कर चले गए हैं,
या फिर वो संन्यासी बन गए हैं।

अब आपके और मेरे पॉइंट तो लिए थोड़ा ताज्जुब होता है कि वो इतना वेरिटी कैसे छोड़ सकते हैं?
इतना मुस्त पैसे मिल रहे हैं, क्या कर रहे होंगे?
यहां हमारा रिएक्शन होता है, कि ये जीन्युइन रिएक्शन है।
90% लोगों का ऐसे ही रिएक्शन होता है।

इसमें कुछ गलत नहीं है।
लेकिन हाँ, इसका मतलब भी यह बिल्कुल नहीं है कि आप, यानी यंगस्टर लोग,
इनको देखकर इंस्पायर हो जाओ और सब कुछ छोड़कर बाबा बन जाओ।

क्योंकि एक बहुत गहरी बात बताना चाहता हूँ,
बाबाओं की बात नहीं है, लेकिन ऐसे यंगस्टर्स में क्या होता है,
कि बहुत लोग अपने इगो को बूस्ट करने के लिए भक्ति का उपयोग करते हैं।
उनको लगता है कि वो मोम माया को त्याग देंगे, तो जैसे वो क्या मिल जाएगा?

अब देखो, यह कितनी बड़ी आइरनी है।
इंडिया में भक्ति एक तरह का नशा बन जाता है,
जैसे बड़े गुरु कहते हैं, वो तो नहीं मिलता।
देखो आप अपनी जिंदगी में कितने लोगों को बोलते हुए सुनते हैं,
यानि मेडिटेशन, ध्यान, माला जपना।

जो कि प्रेमनंद महराज बताते हैं,
वो सब करना होगा, तब जाकर वैसा कुछ अनुभव होता है।
तो मुरली का मतलब क्या है, कि भक्ति को इगो बूस्ट करने के लिए यूज ना करो।

और अगर आपके आस-पास ऐसे लोग हैं, जो कि भक्ति को अपने इगो बूस्ट करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं,
तो नको भी बहरमंतो।
तिस्पिरिच्योल मास्टर्स के अनुसार, इस 8 सो करोड़ की आबादी में से,
सिर्फ 50 लोग होते हैं।
जैसे कि अभी, जो कि असल में, वास्तव में, इन लिटेन,
जो कि पूरी आबादी का 0.000006% यह इतनी बड़ी बात है,
जिसे ग्रास्प किया ही नहीं जा सकता।

तो यह था आज के सारे फैक्ट।
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